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कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म है आरक्षण मेरी कलम स

कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म है 
आरक्षण मेरी कलम से----
आरक्षण दिवस पर विशेष-----
हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसलिए रखा की सदियों से शोषित एवं पीड़ित वर्ग के लोगों को समाज के अन्य वर्गों के समक्ष लाया जा सके। इस तथ्य से तो हम सब अवगत हैं पर आरक्षण का जो स्वरूप वर्तमान में है वह जासूसी उपन्यासों की तरह कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म बन गया है।

जो जातियां ब्रिटिश काल में खुद को सवर्णों की श्रैणी का बताने में गर्व महसूस करती थी वही जातियां आज खुद को आरक्षण दिलाने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग या दलित शोषित करवाना चाहती हैं या बनना चाहती हैं। 

संविधान में दलितों के आरक्षण का प्रावधान था,किनतू वह भी कुछ बरसों के लिए पर आरक्षण का यह प्रावधान द्रोपदी के चीर की तरह बढ़ता ही जा रहा है।
कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म है 
आरक्षण मेरी कलम से----
आरक्षण दिवस पर विशेष-----
हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसलिए रखा की सदियों से शोषित एवं पीड़ित वर्ग के लोगों को समाज के अन्य वर्गों के समक्ष लाया जा सके। इस तथ्य से तो हम सब अवगत हैं पर आरक्षण का जो स्वरूप वर्तमान में है वह जासूसी उपन्यासों की तरह कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म बन गया है।

जो जातियां ब्रिटिश काल में खुद को सवर्णों की श्रैणी का बताने में गर्व महसूस करती थी वही जातियां आज खुद को आरक्षण दिलाने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग या दलित शोषित करवाना चाहती हैं या बनना चाहती हैं। 

संविधान में दलितों के आरक्षण का प्रावधान था,किनतू वह भी कुछ बरसों के लिए पर आरक्षण का यह प्रावधान द्रोपदी के चीर की तरह बढ़ता ही जा रहा है।
manojdev1948

Manoj dev

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