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झूठ और बेईमानी आज कल, घेरे खड़ी पल पल है। जहां दे

झूठ और बेईमानी आज 
कल, घेरे खड़ी पल पल है।
जहां देखो ,ज़िन्दगी 
मुसीबतों का एक दलदल है।

किताबी बातें हैं बेकार की 
सब ,बड़ा आसान है कहना।
कि सत्य और न्याय से 
कभी, समझौता नहीं करना।

 देखो ,बिना ही किसी दोष के, 
गेहूं के साथ घुन पिस रहा है।
और सत्य की गवाही पे आज,
झूठ खड़ा-खड़ा हंस रहा है। ँ

पहन रखा है मुखौटा सब ने,बहुत 
कठिन है किसी पे विश्वास करना।
विकट परिस्थिति में कैसे संभव है
सत्य और न्याय से समझौता नहीं करना।

©Anuj Ray
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