तिरिया बिन तो नर है ऐसा राह बटोही होवे जैसा। फिर भी उसकी कदर नहीं विचारों का खेल कैसा। प्रहार करता हैं निसदिन उसकी आजादी पर जो। उसके बिन तो बंजारों सा जीवन जीता हैं फिर वो। उसकी अहमियत को नजरअंदाज कर जाता है। अपने जीवन की सही राह भी नहीं ढूंढ पाता है। सम्मान उसका अपने हाथों से जिसने रौंद डाला। माँ बनकर उसी औरत ने उसको उम्र भर पाला। अभी भी स्त्री की सुरक्षा का दायित्व तुम उठाओ। स्त्री का जीवन सुकून भरा और खुशहाल बनाओ। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_478 👉 तिरिया बिन तो नर है ऐसा राह बटोही होवे जैसा लोकोक्ति का अर्थ - बिना स्त्री के पुरुष का कोई ठिकाना नहीं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ लिखने के बाद यहाँ Done काॅमेंट करें।