कभी दर्द देते हैं, कभी दर्द पर मरहम लगाने का बहाना करते हैं बड़ी अजीब सी है ये दुनिया, जाने क्यों सब अच्छे बनने का नाटक करते हैं हर रोज़ इनका नया चेहरा, जाने कितने रूप बदल कर चलतें हैं बड़े बेशर्म हैं ऐसे लोग, रोज चेहरे पर मुखौटे लगाकर चलते हैं कभी ख़ुद को बड़े सफाई से, सच्चा और ईमानदार कहते हैं तो कभी दूसरों के प्रति, ख़ुद को वफादार कहते हैं रोज़ ख़ुद को एक नये रंग में, ये डूबो कर चलतें हैं बड़े बेशर्म हैं ऐसे लोग, रोज चेहरे पर मुखौटे लगाकर चलते हैं कभी मीठी वाणी बोलकर, सामने से तीखा वार करतें हैं कोई दूसरा नहीं, ये अपने ही दिल पर को आघात करतें हैं मन में मैल रखकर, कंधे पर ईमानदारी का झोला टांग चलतें हैं बड़े बेशर्म हैं ऐसे लोग, रोज चेहरे पर मुखौटे लगाकर चलते हैं कभी ऐसे लोग खुद को पंडित, सबसे बड़ा विद्वान कहते हैं कभी प्रवचन देने में महान, तो कभी ख़ुद को भगवान ही कहते हैं भगवान को भी कहाँ छोड़ा इन्होंने, उन्हें भी संग लेकर चलते हैं बड़े बेशर्म हैं ऐसे लोग, रोज चेहरे पर मुखौटे लगाकर चलते हैं 🎀 Challenge-198 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।