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#OpenPoetry आओ सूरतें पढ़ते हैं, आदमी पहचानते हैं।

#OpenPoetry आओ सूरतें पढ़ते हैं,
आदमी पहचानते हैं।।

सूरतों पर मिटते हैं ,
आओ दिल पढ़ते हैं।।

सूरतों में छिपा कुछ और है,
दिलों में गढ़ा कुछ और है।।

आओ देख लें छुपकर,
छिपने वाले को को यूं ही,
आखिर छिपा कौन है।।
बाबा कविता
#OpenPoetry आओ सूरतें पढ़ते हैं,
आदमी पहचानते हैं।।

सूरतों पर मिटते हैं ,
आओ दिल पढ़ते हैं।।

सूरतों में छिपा कुछ और है,
दिलों में गढ़ा कुछ और है।।

आओ देख लें छुपकर,
छिपने वाले को को यूं ही,
आखिर छिपा कौन है।।
बाबा कविता