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मुंडेर पर आ बैठा है आज कबूतर लगता है किसी ने पैगा

मुंडेर पर आ बैठा है आज कबूतर 
लगता है किसी ने पैगाम भेजा है

लिखा कई दफ़े मुहब्बत के ख़त उन्हें
शायद उन्होंने आज जवाब भेजा है

वर्षों तक किया होगा इंतज़ार उसने
तभी मेरा दिया वो पुराना सामान भेजा है

याद करते होंगे प्याले, हाले और साकी
तभी मयखाने ने मुझे दो जाम भेजा है

 जुस्तजू में जिसकी तुम फ़ना हुए किरबध
उसने आज उसका अंजाम भेजा है

©Kirbadh #oddone #ghazal #poetry
मुंडेर पर आ बैठा है आज कबूतर 
लगता है किसी ने पैगाम भेजा है

लिखा कई दफ़े मुहब्बत के ख़त उन्हें
शायद उन्होंने आज जवाब भेजा है

वर्षों तक किया होगा इंतज़ार उसने
तभी मेरा दिया वो पुराना सामान भेजा है

याद करते होंगे प्याले, हाले और साकी
तभी मयखाने ने मुझे दो जाम भेजा है

 जुस्तजू में जिसकी तुम फ़ना हुए किरबध
उसने आज उसका अंजाम भेजा है

©Kirbadh #oddone #ghazal #poetry
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