धरती धरती अंबर , अंबर ,धानी धानी कहती है, शिकवे गीले हो जो , रजा तुम्हारी समझती है, बात बात पर सजग ,सहल कर, हो जीवन तार करो, मानव हो तुम भूल से न मानवता पर प्रहार करो