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अंदर ही अंदर झाँक लेते है अपने कुछ ज़ज़्बात बयां न ह

अंदर ही अंदर झाँक लेते है अपने
कुछ ज़ज़्बात बयां न हो पाते हैं
वो अल्फाज़ कहें तो कैसे
जो छिपा है भीतर अपने
दिल की बात कहें तो किससे
कहने को तो सब अपने हैं
उनमें अपना कहें किसे
सुख के पलों में साथी बने सब
विपरीत पलों को बयां करें किससे
कलम से वृतांत लिखते हैं
जीवन का सार कहें कैसे
अंतरद्वन्द की स्थिति हो जब
हर साज़ को सुनाएंगे किसे
परिवार, मित्र, अजनबी तो जरिया है बस
समझने के दावेदार बनते जो
गर दिल की बात को कहेंगे किससे|
#स्वातिकीकलमसे ✍️

©swati soni
  #Streaks
#nojotoDilSe  Jasmine of December (Krishnadasi Shivaya) R Ojha Anshu writer rounak kumar Satya