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कभी यादों में आती हो कभी ख्वाबों में आती तुम, हकीक

कभी यादों में आती हो कभी ख्वाबों में आती तुम,
हकीकत बन के नींदों से कभी मुझको जगाती तुम।
तुम्हारे दिल में क्या है आज तक मैं जान ना पाया,
जो मुझसे प्रेम है फिर क्यूं मुझे इतना सताती तुम।।

©®सोमेश त्रिवेदी कभी यादों में आती हो कभी ख्वाबों में आती तुम,
हकीकत बन के नींदों से कभी मुझको जगाती तुम।
तुम्हारे दिल में क्या है आज तक मैं जान ना पाया,
जो मुझसे प्रेम है फिर क्यूं मुझे इतना सताती तुम।।

#सोमेश
#मुक्तक
कभी यादों में आती हो कभी ख्वाबों में आती तुम,
हकीकत बन के नींदों से कभी मुझको जगाती तुम।
तुम्हारे दिल में क्या है आज तक मैं जान ना पाया,
जो मुझसे प्रेम है फिर क्यूं मुझे इतना सताती तुम।।

©®सोमेश त्रिवेदी कभी यादों में आती हो कभी ख्वाबों में आती तुम,
हकीकत बन के नींदों से कभी मुझको जगाती तुम।
तुम्हारे दिल में क्या है आज तक मैं जान ना पाया,
जो मुझसे प्रेम है फिर क्यूं मुझे इतना सताती तुम।।

#सोमेश
#मुक्तक

कभी यादों में आती हो कभी ख्वाबों में आती तुम, हकीकत बन के नींदों से कभी मुझको जगाती तुम। तुम्हारे दिल में क्या है आज तक मैं जान ना पाया, जो मुझसे प्रेम है फिर क्यूं मुझे इतना सताती तुम।। #सोमेश #मुक्तक #कविता