आज का मानव : स्त्री मात्र से दैहिक निकटता प्राप्त करने में अपने प्रेम की सार्थकता समझता है ।।। # प्रेम का अस्तित्व , उसका वास्तविक अर्थ , आज लोगों के लिए सिर्फ आकर्षण की चौखट पर खडा़ है , मात्र क्षणिक बंधन ।।।।