हर राह गुज़रती है जो मुझसे, तुझ से तुझ तक जाती है और मेरे पैरों से चल कर, मुझ से मुझ तक आती है अक़्स में तेरे,हूँ मैं ज़ाहिर, तू ही आईना,नूर है और मेरा पोशीदापन भी, छाँव में तेरी चूर है साँसें के तेरे संदल से, मेरी साँस नहाती है हर राह गुज़रती है जो मुझसे, तुझ से तुझ तक जाती है तू मक़सद है, तू मज़हब है, तू ही मेरी किताब है तेरी इश्क़ में फिरूँ जो कमला, ये ही मेरा ख़िताब है जब भी खोता हूँ मैं ख़ुदको, ख़ुदा तू ही मिल जाती है हर राह गुज़रती है जो मुझसे, तुझ से तुझ तक जाती है तू बैरागी की है ममता, ममता का बैराग है और चिरागाँ करे जो रौशन, रेशम की वो आग है तू मुझ से मेरा वो वादा, मेरी साँस निभाती है हर राह गुज़रती है जो मुझसे, तुझ से तुझ तक जाती मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनावाँ @ राह ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #main_raz_raz_hizr_manavaan #मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ #Nojoto #Hindi