रब्ते अज़ाब जब सो जाते, हर शब ज़ुहूर मेरा सैयारों ने देखा है जुगनुओं के हाथों बिकते हुये मुझे तारीक़ी के बाजारों ने देखा है रब्त-रिश्ता, अज़ाब-दुख, पीड़ा, ज़ुहूर- प्रकटन, प्रतीति, पेश करना. सैयारों- तारों, तारीक़ी-अंधेरा. #nojoto #poetry