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#OpenPoetry माना कि रात बहुत हो चुकी है सोने का वक़

#OpenPoetry माना कि रात बहुत हो चुकी है सोने का वक़्त है,
पर क्या करूँ क़लम से तेरे ख़्यालात उतारने अभी बाकी हैं। 
अज्जु #Ajju

#OpenPoetry
#OpenPoetry माना कि रात बहुत हो चुकी है सोने का वक़्त है,
पर क्या करूँ क़लम से तेरे ख़्यालात उतारने अभी बाकी हैं। 
अज्जु #Ajju

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nazukayaz4474

Nazuk 804575

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