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चुन चुन फूलों को पिरो बना अमूल्य कण्ठहार,सभी बड़े छ

चुन चुन फूलों को पिरो बना अमूल्य कण्ठहार,सभी बड़े छोटो को मिला बना घर  परिवार।।
बिन फूलों के सावन भादो में न हो कभी बहार,नन्हें मुन्हें तोतली बोली से करते सुख संचार।।

पहली कक्षा का पहला पाठ दिया जीवनसार,सभी विद्यालय न्यून ऐसा देते बुनियादी आधार।।
दुर्भाग्यपूर्ण ख़त्म हो रहा संयुक्त परिवार प्रसार,एकाकी जीवन जीते हैं खो गए सब सु-संस्कार।।

चंद दम्भ अहंकार ने बना दिए सब रिश्ते बेकार,लोगो पर चढ़ा है,निहां अहम का जुनून बेशुमार।।
कहते, परिवर्तन अतीव है,पर सब हो गया निस्सार,वसुदेव कुटुम्ब भावना को किया सरेआम शर्मसार।।    
{आज का सुविचार}
 "परिवार से बड़ा कोई धन नहीं"
**********************************************************************************************
कैप्शन ध्यानपूर्वक पढ़ें I

❄ केवल 6 पंक्तियों में रचना करें।
चुन चुन फूलों को पिरो बना अमूल्य कण्ठहार,सभी बड़े छोटो को मिला बना घर  परिवार।।
बिन फूलों के सावन भादो में न हो कभी बहार,नन्हें मुन्हें तोतली बोली से करते सुख संचार।।

पहली कक्षा का पहला पाठ दिया जीवनसार,सभी विद्यालय न्यून ऐसा देते बुनियादी आधार।।
दुर्भाग्यपूर्ण ख़त्म हो रहा संयुक्त परिवार प्रसार,एकाकी जीवन जीते हैं खो गए सब सु-संस्कार।।

चंद दम्भ अहंकार ने बना दिए सब रिश्ते बेकार,लोगो पर चढ़ा है,निहां अहम का जुनून बेशुमार।।
कहते, परिवर्तन अतीव है,पर सब हो गया निस्सार,वसुदेव कुटुम्ब भावना को किया सरेआम शर्मसार।।    
{आज का सुविचार}
 "परिवार से बड़ा कोई धन नहीं"
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