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जब तुम गैर बन गये,मेरा खैरकदम नहीं तुमसे। कभी याद

जब तुम गैर बन गये,मेरा खैरकदम नहीं तुमसे।
कभी याद आते हो बेशक,पर हरदम नहीं तुमसे।
माना हुनर है तुममें, कद भी तो बढ़ा लिया तुमनें,
राह रही हो साथ तेरे, पर हमकदम नहीं तुमसे।

#सैनी बाबू

©सैनीबाबू #Love
जब तुम गैर बन गये,मेरा खैरकदम नहीं तुमसे।
कभी याद आते हो बेशक,पर हरदम नहीं तुमसे।
माना हुनर है तुममें, कद भी तो बढ़ा लिया तुमनें,
राह रही हो साथ तेरे, पर हमकदम नहीं तुमसे।

#सैनी बाबू

©सैनीबाबू #Love