जब बसाने का मन में ना हो हौसला, बेवजह घोसला मत बनाया करो, और उठा ना सको, जो गिरे फूल तुम, इस तरह डालिया मत हिलाया करो।। वो समंदर नहीं थे, थे आँसू मेरे, जिसमें तुम तैरते और नहाते रहे; एक हम थे कि आँखों की उस झील में, बस किनारे पर डुबकी लगाते रहे, और मछलियां सारी झुलस जाएंगी झील की, अपना पूरा बदन ना डुबाया करो।। वो हमें क्या सम्हालेंगे इस भीड़ में, जिनसे अपना दुपट्टा सम्हलता नहीं, कैसे मन को ये कह दूँ की सुकोमल है ये, फूल को देखकर जो मचलता नहीं, जिनके दीवार तर है बने मोम के , उनके घर में ना दीपक जलाया करो।।। जब बसाने का मन में ना हो हौसला। - डॉ. विष्णु जी #yqbaba #yqdidi #love #geet