" 'चांदनी' बिखेरोगे, या 'प्रेमरोग' लगाओगे, फना होकर धरती से,कैसे 'याराना' निभाओगे, सोचा किसने था तुम यूं , 'रफ़ूचक्कर' हो जाओगे, लगता था इसी ' दुनिया ' के ,' सागर ' बन जाओगे, 'धरतीपुत्र' हो भारत के, तुम ' अजूबा ' कहलाओगे, 'पहला पहला प्यार' हो तुम,'अग्निपथ ' से आगे जाओगे, 'कभी कभी' लगता है, 'पटियाला हाउस' में बस जाओगे , ' जब तक है जान ' , तुम ' दो दूनी चार ' करते जाओगे , ' चिंटू जी ' , ' लव आज कल ' बस आपसे है , ' कर्ज ' ' हिना ' का , ' धन दौलत ' से ना भर पाओगे " In loving memories of #RishiKapoor - Author Vivek Sharma #riprishikapoor #rishikapoor #bollywood #yqbaba #yqromance #bobby #romance #indiancinema