विचार और संस्कार,, दोनों अलग अलग शब्द हैं,,, लेकिन दोनों ही एक दूसरे के साथ जुड़े हुए होते हैं,, विचार यानि आप कहां तक सोचते हो,, किस तरह की सोच रखते हो,, संस्कार परिवार से मिलते हैं,, इसमें सभी अच्छे गुण आ जाते हैं,, परिवार ही बच्चे को सिखाता है, बड़ों का सम्मान करना,, नारी की इज्जत करना, छोटों से प्यार करना, निंदा ना करना, सत्य को निडर होकर बोल देना,,, 👉 जब बच्चे को परिवार से चुगली करना, लड़ाई करना, गाली देना आए तो इसका अर्थ है कि उस परिवार के संस्कार सही नहीं है,,,,, कुछ बच्चों का परिवार गलत होता है लेकिन बच्चे संस्कारी हो जाते हैं,,, और कुछ का परिवार सही होता है पर बच्चे संस्कारी नहीं होते,, इसका मतलब होता है कि वे संगति के असर से ऐसे होते हैं,,, अगर आप सही हो और कोई बड़ा गलत है,,, तो आप निर्भय होकर अपने विचार बोल दीजिए,,, लेकिन तेज आवाज में नहीं,,,यहां जरूरत होती है रघु सामंजस्य स्थापित करने की विचारों और संस्कारों में,,, अपने विचारों को कभी गुलाम मत बनने देना,, और अपने संस्कारों की सीमा कभी लांघना मत,,, मुश्किल है मगर नामुमकिन नहीं रघु एक मनोविज्ञानी संस्कार और विचार,,,, साथ साथ लेकर चलना,,,,, चल सको तो चलो,,,,रघु एक मनोविज्ञानी