राज-ए-दस्तक का दरवाजा तो खोलिये कब तक टकटकी लगाए इंतज़ार में रहगे हम इंतज़ार कही नासूर न बन जाएं, उससे पहले अनाधार-ए-कपाट तो खोलिये । (आनधार - होंठ) #राज-ए-दस्तक का #दरवाजा तो खोलिये कब तक #टकटकी लगाए #इंतज़ार में रहगे हम #इंतज़ार कही #नासूर न बन जाएं, उससे पहले #अनाधार-ए-कपाट तो खोलिये ।#khnazim