वो एक तअल्लुक जो पागल पन मे किया हमनें आज मन से आवाज़ आती है बड़ा मंहगा पड़ा कुछ ज़ालिम लोग ऐसे भी ज़िंदगी में आऐ जिनकी ज़बानों का हर एक वार सहना पड़ा वो एक शख्स जिब्रान जो दुश्मनी के क़ाबिल भी नहीं हाय उसी को आज दोस्त कहना पड़ा mtlbi hain log yaha par