उड़ जाने दो उस सतरंगी ख़्वाब को जो कारण रहा आठों पहर की बेचैनी का, लालिमायुक्त आँखों का, बिना वज़ह की सभी वज़हों का, जो थकाता रहा उसकी सोच में डूबे मन को, भिगोता रहा रक्ताभ कपोलों को, दूर करता रहा हृदय को ख़ुद से ही, उड़ जाने दो उस ख़्वाब को, जो था ही नहीं कभी हाथ में, जो बना ही नहीं साकार होने को, जो बसा नैनों में आकर सिर्फ़ उड़ने को..! 🌹 #mनिर्झरा उड़ जाने दो उस सतरंगी ख़्वाब को जो कारण रहा आठों पहर की बेचैनी का, लालिमायुक्त आँखों का, बिना वज़ह की सभी वज़हों का,