#OpenPoetry सच कहूँ तो तुम्हे हर जनम में लिखूंगा ये मत समझना कुछ बुरा लिखूँगा वो तो गम था इक पल जुदाई का गर खतम हो गयी स्याही फिर लघु से लिखूँगा ✍️ अमितेश निषाद (सुमीत) सच कहूँ तो तुम्हे हर जनम में लिखूंगा ये मत समझना कुछ बुरा लिखूँगा वो तो गम था इक पल जुदाई का गर खतम हो गयी स्याही फिर लघु से लिखूँगा ✍️ अमितेश निषाद (सुमीत)