हमे ख़रीदले ऐसी किसी की औकात नही ओर हम बिक जाए ऐसा हमारा ईमान नही तुम karun का खजाना भी खोल दोगे तब भी Imran को नही खरीद पाओगे बिकना होता तो कभी से बिक गए होते बहुत महंगी बोली लगाने वाले लोग थे दुनिया मे हमारे ताल्लुक़ात उधर बहुत ज्यादा थे । imran.... okat