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वो नदिया, वो कश्ती, वो गलियां, वो बस्ती, वो खेतों

वो नदिया, वो कश्ती, वो गलियां, वो बस्ती, 
वो खेतों मैदानों में दोस्तों से मस्ती। 
वो पापा की डांट, वो मां का प्यार, 
वो सुबह सवेरे गांव में मटरगश्ती। 
वो चाय की टपरी, वो हंसता सा चेहरा, 
वो आंखों ही आंखों में होती मुलाकातें। 
वो सब कुछ मुझे फिर से पाना है, 
दिवाली की छुट्टियों में मुझे घर जाना है।  #घरजानाहै
वो नदिया, वो कश्ती, वो गलियां, वो बस्ती, 
वो खेतों मैदानों में दोस्तों से मस्ती। 
वो पापा की डांट, वो मां का प्यार, 
वो सुबह सवेरे गांव में मटरगश्ती। 
वो चाय की टपरी, वो हंसता सा चेहरा, 
वो आंखों ही आंखों में होती मुलाकातें। 
वो सब कुछ मुझे फिर से पाना है,
वो नदिया, वो कश्ती, वो गलियां, वो बस्ती, 
वो खेतों मैदानों में दोस्तों से मस्ती। 
वो पापा की डांट, वो मां का प्यार, 
वो सुबह सवेरे गांव में मटरगश्ती। 
वो चाय की टपरी, वो हंसता सा चेहरा, 
वो आंखों ही आंखों में होती मुलाकातें। 
वो सब कुछ मुझे फिर से पाना है, 
दिवाली की छुट्टियों में मुझे घर जाना है।  #घरजानाहै
वो नदिया, वो कश्ती, वो गलियां, वो बस्ती, 
वो खेतों मैदानों में दोस्तों से मस्ती। 
वो पापा की डांट, वो मां का प्यार, 
वो सुबह सवेरे गांव में मटरगश्ती। 
वो चाय की टपरी, वो हंसता सा चेहरा, 
वो आंखों ही आंखों में होती मुलाकातें। 
वो सब कुछ मुझे फिर से पाना है,

#घरजानाहै वो नदिया, वो कश्ती, वो गलियां, वो बस्ती, वो खेतों मैदानों में दोस्तों से मस्ती। वो पापा की डांट, वो मां का प्यार, वो सुबह सवेरे गांव में मटरगश्ती। वो चाय की टपरी, वो हंसता सा चेहरा, वो आंखों ही आंखों में होती मुलाकातें। वो सब कुछ मुझे फिर से पाना है, #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #vibrant_writer #pritliladabar