समय-समय पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से महिलाओं के खिलाफ अपराध की खबर आती रही है हाल ही में बंगाल के बीरभूम में भी ऐसी घटना हुई है लेकिन उसके मूल में राजनीतिक कारण है महिला के प्रति हिंसा में सामाजिकरण भी देखे गए पिछले दिनों बिहार के नवादा जिले में एक महिला को डायन बता पेट्रोल चला कर जिंदा जला दिया खरब खबर ने लोगों को जन को रख दिया इस खबर में स्थानीय पुलिस बिहार मानव अधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को सन्यासी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी पर ऐसी कुछ भी नहीं हुआ सवाल आयोग और पुलिस के रवैए का है उनकी संवेदनशीलता के सैकड़ों उदाहरण रोज देखने को मिलते रहे हैं मुख्य सवाल यह है कि किसी डिजिटल तकनीकी के इस युग में आज भी महिलाओं को डायन मानना और उन्हें मार देने की प्रथा जारी है यदि संबंधित कानून की बात करें तो देश भर में उड़ीसा के एकमात्र ऐसे राज्य हैं जहां डायन प्रथा के खिलाफ अलग से कानून है यदि हम 2011 से 2000 तक इस रिपोर्ट की बात करें तो देश भर में 24 हत्याओं के पीछे मकसद डायन मार देना गत वर्ष 2019 में लोकसभा में डायन बता कर हत्या कर देने से संबंधित एक सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रीय आयोग तो भारत के दलित महिलाओं पर होने वाले शोध अध्ययन हत्या की बात कही गई है निर्भया फंड के माध्यम से महिला हिंसा के खिलाफ जागरूकता अभियान के साथ महिला हेल्पलाइन नंबर प्रचार भी किया जा रहा है ©Ek villain #महिला अत्याचार पर लगे अंकुश #waiting