अवचेतन मन जीवन को चलाता है। जो कुछ यहां स्मृति में संग्रहीत है, वही कार्यरत होता है। चेतना का जागरण बिना दृढ़ संकल्प के नहीं हो पाता। शिक्षा और तकनीकी विकास ने व्यक्ति के सामने इतने सारे विकल्प और चकाचौंध खड़ी कर दी है कि वह विकल्पों में खो गया। लक्ष्य से भटक गया। पेट भरने के अलावा जीवन में अन्य लक्ष्य ही नहीं रह गया। कर्ता बनकर अपने ही जाल में फंस गया। #preeti dadhich#deepali suyal# ragini jha गुलाब कोठारी लेखक पत्रिका समूह के प्रधान संपादक हैं