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उत्तर में प्रहरी बन खड़ा विशाल हिमालय, दक्षिण में ह

उत्तर में प्रहरी बन खड़ा विशाल हिमालय,
दक्षिण में हिंद सागर पाँव पखारती,
पश्चिम अरब सागर, पूर्व बंगाल की खाड़ी,
विशाल भुजाएँ सकल रूप तुम्हारी सवारती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्वेद,
रामायण-गीता सी महाकाव्य की थाती,
बुद्ध- महावीर के दर्शन से जागृत,
गाँधी –कलाम के अतुल्य ज्ञान की पाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

मोक्षदायिनी नदियाँ गंगा-यमुना सरीखी,
कल-कल प्रवाहित गोदावरी, नर्मदा - ताप्ती,
हरीतिमा विकसित इनके निर्मल जल से,
भंडार अन्न के भर अन्नपूर्णा कहलाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत, वसंत,
ऋतुएँ छः मनोरम छटा अपनी दिखाती,
चाँदनी चादर ओढ़े रात,अरुणिमा लिए सुबह,
अद्वितीय सौंदर्य से लिप्त ये वसुंधरा मुस्काती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई करते नित वंदन,
अनेकता में एकता तुम विश्व को सिखाती,
भिन्न- भिन्न भाषाएँ, भिन्न –भिन्न रहन-सहन,
वैमनष्यता त्याग समरसता का पाठ पढ़ाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

-कुमार भास्कर 💞

©Kumar Bhaskar
  jay bharati 

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