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धड़कनों की मनमानियाँ,अब चलती हैं कहीं ज्यादा..! इश

 धड़कनों की मनमानियाँ,अब चलती हैं कहीं ज्यादा..!
इश्क़ में हार कर क्यों,ये कर बैठा कैसा वादा..!

छीन कर सुख चैन मेरा,दिल हुआ बेचैन मेरा..!
जान जान बोल कर,जान लेने को आमादा..!

भूला नहीं फिर भी,झूला अनहोनियों का फंदा..!
क़ैद-ए-बा-मशक़्क़त,हुआ मोहब्बत में परिन्दा..!

पाक थे इरादे,वो सभी कसमें वादे..!
जीवन में अपनी रखी,श्रीराम सी मर्यादा..!

कैसे कहूँ कब तक सहूँ,ज़ुल्म-ओ-सितम यूँ ही..!
राजा सा जीवन मेरा,कब हो गया प्यादा..!

शैतानियाँ नादानियाँ,ख़त्म हुई सारी..!
भोला भाला जीवन कभी,यूँ जिया सीधा सादा..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #raindrops #Manmaniyan