कुछ तो यूं भी कर, कि कुछ सवाल ख़ुद से कर। हौसले थोड़े बढ़ा, कभी तो आईने में ख़ुद को निहारा कर। थकन सी होती है इस भँवर में, घूमती रहीं हूँ यूं उम्रभर। थोड़ा रुक-ठहर यहीं, ऐ मन, थोड़ा यहीं तो सब्र कर। क्या लुट गया मेरा? क्या बन गया तेरा? जिसे ढूँढता तू हर कहीं है, ऐ मन, उस सुकूँ को कभी ख़ुद में तलाश कर.... ऊँची उठती जाएं, दिखती हज़ारों लहरें उठती हैं समुंदर से, गिरती है समुंदर पर, कभी तो सोच लेता ऐ मन..... लहर लहर है या है समुंदर!? कुछ तो यूं भी कर, कि कुछ सवाल ख़ुद से कर। हौसले थोड़े बढ़ा, कभी तो आईने में ख़ुद को निहारा कर। #YQdidi #YQbaba #Hindi #Himmat #adhyatm