दो शब्द यू कागज पर उतारकर अच्छा लगता है, कयुकि पूरी दुनिया मे बस ये कागज कलम ही मुझे समझता है, काश उनसे मे कभी मिला ही ना होता, तो शायद वो सरद राते दर्द भरी ना होती, काश उनहे कभी देखा ही नहीं होता तो शायद मेरी आंख आज उनहे देखने को यू तडपी ही ना होती, काश बस एक बार उनहे बाहो मे भर लिया होता,और आखिरी बार जी भर के देख लिया होता, काश बस लास्ट बार उनके माथे को 57 वी बार भी चूम लिया होता, काश वो लास्ट दिन तो उनके साथ बीता होता, काश वो दोबारा आये ही ना होते, जिस जगह लाकर छोड़ दिया है ना उन ने तो इस जगह मे खड़ा ना होता, जिस शिद्दत से दुख पहुंचाने की कोशिश की उनने तो मैने मेरे प्यार करने की शिद्दत खोयी ना होती, काश मेरे प्यार मे थोडी कमी रही ना होती काश मे उनसे मिला ही ना होता, उनका मुझसे नजरे चुराना फिर उसे प्यार का नाम देना सब बेकार की बाते, मुझे हमेशा खुश रखने के कुछ भी हो जाये छोड़ कर ना जाने क वादे करना सब बेकार की बाते, अपने जीवन की नाव को साथ मे चलाने की बात करना और किनारा मिलते ही मेरी कशती को भी अकेला कर जाना ,उस झरने को प्यार की उपाधी देना जिसमे कभी पानी था ही नहीं सब बेकार की बाते है, पर जान मेरा वो ऊंचे पेड के पत्ते की तरह तेज हवा में बह जाना ,संमदर की तरह दिल बडा करके तुझे दिल से प्यार करना ये बेकार की बाते नही है, सोने से पहले उनहे याद करना, दिन की शुरूआत उनकी तस्वीर देख कर करना, उनको बेवफा ना मानना, मेरी कदर कभी तो उनहे होगी ऐसा मानना सब बेकार की बाते