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इश्क़ की फितरत क्या होती है मुझको यह मालूम न था इश्

इश्क़ की फितरत क्या होती है मुझको यह मालूम न था
इश्क़ की ताक़त क्या होती है मुझको यह मालूम न था,

बस एक नज़र तुझको देखा यह नज़रे फट के चार हुई
तब जाना इस आफत को मैं,वरना कुछ मालूम न था,
 
मैं पहले इतना हँसता था मुझे रोने की कोई खबर न थी
तुझ से मिलने से पहले तक मुझे गम वम कुछ मालूम न था,

मेरी माँ से करता था मैं, अपनी दिल की बातें सारी
तुझसे मिलने से पहले,माँ के सिवा कुछ मालूम न था,

तू जो भी थी एक जादू थी जो मेरे दिल मैं उतर गई
तेरी बातों से पहले मुझको यह इश्क़ विश्क़ मालूम न था। #MaloomNaTha
इश्क़ की फितरत क्या होती है मुझको यह मालूम न था
इश्क़ की ताक़त क्या होती है मुझको यह मालूम न था,

बस एक नज़र तुझको देखा यह नज़रे फट के चार हुई
तब जाना इस आफत को मैं,वरना कुछ मालूम न था,
 
मैं पहले इतना हँसता था मुझे रोने की कोई खबर न थी
तुझ से मिलने से पहले तक मुझे गम वम कुछ मालूम न था,

मेरी माँ से करता था मैं, अपनी दिल की बातें सारी
तुझसे मिलने से पहले,माँ के सिवा कुछ मालूम न था,

तू जो भी थी एक जादू थी जो मेरे दिल मैं उतर गई
तेरी बातों से पहले मुझको यह इश्क़ विश्क़ मालूम न था। #MaloomNaTha