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समाज-सुधार कार्य, मानव सेवा, वन संरक्षक,पशु धन की

समाज-सुधार कार्य, मानव सेवा, वन संरक्षक,पशु धन की रक्षा, गुरु भक्ति, वचन-पालन जैसे मूल्यों के लिए जीवन देने वाले अनेक महापुरुष राजस्थान में लोकदेवता व संत के रूप में पूजनीय है।सामाजिक व धार्मिक कारणों से राजस्थान में लोकदेवताओं का उदय हुआ, ये लोकदेवता साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रणेता थे-गोगाजी, तेजाजी, पाबूजी, रामदेवजी, मीराबाई, दादूदयाल, जाम्भोजी, जसनाथ जी, श्रद्धानाथ जी आदि देवता और संत प्रमुख हैं।
इस प्रकार देश की राष्ट्रीय संस्कृति का अंग होते हुए भी राजस्थान की संस्कृति की अपनी कुछ विशेषताएं है।यहाँ के पारंपरिक पर्व-त्योहार, मेले, रीति-रिवाज आदि आकर्षक व मनमोहक हैं ,इसीलिए राजस्थान को 'रंगीला-राजस्थान'कहा जाता है!!

©अंजलि जैन राजस्थान-दिवस के अवसर पर 01.04.21

#colours
समाज-सुधार कार्य, मानव सेवा, वन संरक्षक,पशु धन की रक्षा, गुरु भक्ति, वचन-पालन जैसे मूल्यों के लिए जीवन देने वाले अनेक महापुरुष राजस्थान में लोकदेवता व संत के रूप में पूजनीय है।सामाजिक व धार्मिक कारणों से राजस्थान में लोकदेवताओं का उदय हुआ, ये लोकदेवता साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रणेता थे-गोगाजी, तेजाजी, पाबूजी, रामदेवजी, मीराबाई, दादूदयाल, जाम्भोजी, जसनाथ जी, श्रद्धानाथ जी आदि देवता और संत प्रमुख हैं।
इस प्रकार देश की राष्ट्रीय संस्कृति का अंग होते हुए भी राजस्थान की संस्कृति की अपनी कुछ विशेषताएं है।यहाँ के पारंपरिक पर्व-त्योहार, मेले, रीति-रिवाज आदि आकर्षक व मनमोहक हैं ,इसीलिए राजस्थान को 'रंगीला-राजस्थान'कहा जाता है!!

©अंजलि जैन राजस्थान-दिवस के अवसर पर 01.04.21

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anjupokharana7639

Anjali Jain

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