नन्ही मेरी कलम को चलने की आदत है। मेरे ग़मों को शब्द बनकर पन्नों पे उतरने की आदत है। मैं तो समेटे रखता हूँ इस दिल के हर ज़ख्म को। पर इन्हें स्याह बनकर बिखरने की आदत है। नन्ही मेरी कलम को चलने की आदत है। कोई देता है अगर घाव दिल मे। तो मेरी कलम को उन्हें बयां करने की आदत है। हां मेरी कलम को मेरे दर्द लिखने की आदत है। नन्ही मेरी कलम को चलने की आदत है। मेरे दिल मे हुए उलझनों पर इन्हें मचलने की आदत है। हाँ मेरी कलम को चलने की आदत है। नन्ही मेरी कलम को चलने की आदत है।। #नन्ही #मेरी #कलम