उस पर अंकुश लगाओ, अपने मुँह मियां मिट्ठू न बनो, शोभा नहीं देता, कहीं अपना सा मुँह लेकर न रहना पड़ जाए । मन को कभी आड़े हाथों भी लो, आसमान में उड़ने न दो, कहीं आंसू पीना न पड़ जाए । मन को डांट डपट कर रखो, अपने पांव आप कुल्हाड़ी न मारो उंगली उठाओ, कहीं मन की उंगली पर नाचना न पड़ जाए। मन को कठपुतली बनाकर रखो, कहीं कहर न मचाए, मन की बात जब गले न उतरे, दाल में कुछ काला जब लगे, फूंक-फूंक कर कदम तब रखो। ३६८ /३६६ सुप्रभात। चंचल मन को क़ाबू में रखना आवश्यक है। वरना वो मनमानी करता है और इधर उधर उलझा कर रखता है। #मनक़ाबूरख #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #मुहावरे original yreeta-lakra-9mba