एक नया ईश्वर- आज मैं एक नए ईश्वर से मिला, मेरा दोस्त मुझे अपने मंदिर ले आया था, मैंने नए ईश्वर से बात की, उसकी बातें चाल-ढाल सब वैसा ही था, मैंने थोड़ा विस्मित होकर कहा- हे ईश्वर तुम तो बिल्कुल नहीं बदले, ईश्वर हंसा फिर चुप हो गया.
मैंने थोड़ा आशंकित हो कर पूछा- हे ईश्वर तुम किसके हो, मेरे या मेरे दोस्त के, ईश्वर फिर हंसा पर कोई उत्तर न आया, मैंने साहस कर अंतिम प्रश्न किया- हे ईश्वर क्या तुम किसी के भी नहीं, ईश्वर बहुत-बहुत-बहुत हंसा, पर कुछ न बोला.
तेजिंदर लूथरा #Shayari