फटे हाल थी मेरी जिंदगी अश्को से की तुरपाई हैं फिर भी तेरी एक याद से आँखे मेरी भर आईं हैं कितनी हसीं हैं ये सर्द रात कहीं बज रही शहनाई हैं सो गया तकिया लगाकर सो गई तन्हाई हैं गलतियां हुई कभी जो न कभी दोहराई हैं लोग कहते हैं शराब मैंने कहा दवाई हैं कैसी हैं ये जंग मेरी खुद ही से खुद की लड़ाई हैं कुछ नही हाँथो मे मेरे कागज़ कलम और स्याही हैं एक अरसे बाद भी मावठ कहर ले आई हैं एक आग हैं न बुझ रही कैसी ये रंज-ए-जुदाई हैं #एकयाद