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"भुगतान" महाशय,व्यवस्था अवगत करा दूँ! मैं मूर्तिका

"भुगतान"
महाशय,व्यवस्था
अवगत करा दूँ!
मैं मूर्तिकार,नियति मेरी नीर तट
चिकनी मिट्टी पर अधिकार
मेरे संपूर्ण अवधि में बाधा
हथिया नक्षत्र
वर्षा प्रकोप बरसा रही है
मैं बावला होता जा रहा हूँ
वर्ष भर का पूजा
कल्पना आकार ले चुकी थी
मिट्टी भी ज्यादा ली
पिछली बार माँ का सरस्वती मस्तक बहुत चमका
इस बार मैं भी..........,
इसी भाव में ही जी रहा था,सच में
दुर्गा माता की मूर्ति बड़ी ही होनी चाहिए,
इसका अनुमान कर, कितना खुश था मैं
और ये हथिया नक्षत्र
भुगतान की व्यवस्था करें।।
(कृपया,शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) तब महोदय,व्यवस्था
इस वर्षा ने तो, 
आपकी भी मिट्टी पलीद कर दी होगी
यह नक्षत्र ही संयोग है
मेरी तपस्या,की विषय,वस्तु को महत्व दें
कला संस्कृति में रचे-बसे हम
इसलिए हस्ती,हंसती है
मेरी बेटी ने तो कुछ नहीं किया
"भुगतान"
महाशय,व्यवस्था
अवगत करा दूँ!
मैं मूर्तिकार,नियति मेरी नीर तट
चिकनी मिट्टी पर अधिकार
मेरे संपूर्ण अवधि में बाधा
हथिया नक्षत्र
वर्षा प्रकोप बरसा रही है
मैं बावला होता जा रहा हूँ
वर्ष भर का पूजा
कल्पना आकार ले चुकी थी
मिट्टी भी ज्यादा ली
पिछली बार माँ का सरस्वती मस्तक बहुत चमका
इस बार मैं भी..........,
इसी भाव में ही जी रहा था,सच में
दुर्गा माता की मूर्ति बड़ी ही होनी चाहिए,
इसका अनुमान कर, कितना खुश था मैं
और ये हथिया नक्षत्र
भुगतान की व्यवस्था करें।।
(कृपया,शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) तब महोदय,व्यवस्था
इस वर्षा ने तो, 
आपकी भी मिट्टी पलीद कर दी होगी
यह नक्षत्र ही संयोग है
मेरी तपस्या,की विषय,वस्तु को महत्व दें
कला संस्कृति में रचे-बसे हम
इसलिए हस्ती,हंसती है
मेरी बेटी ने तो कुछ नहीं किया