बूँद-बूँद ये भरती गागर, बूँद-बूँद से बनता सागर, ये आधार है जीवन का, मत इसको व्यर्थ बहाओं, सुरक्षित करों इस जल को, अपनी धरा को बचाओं, गंदगी से होता विषैला, स्वयं समझो सबको समझाओं..!! ©Varun Raj Dhalotra #Savewater #जीवन #जल #poem #विचार #सुझाव #कविता #merikalamse