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क्यूँ बदलनी पंक्तियाँ उन्हें ऐसी ही रह जाने दो जो

क्यूँ बदलनी पंक्तियाँ उन्हें ऐसी ही रह जाने दो
जो रच गया है तुमसे उसे इतिहास बन जाने दो
तुम सराहो नसीब अपना के जो कह देते मुकम्मल वो हो जाता
कहते ही जो बदले परिस्थिति तो उसे बदल जाने दो
भाग्यशाली वो क़लम होती जो वतन के हित में चलती है
जन्मते ही मरती पंक्तियाँ तो उन्हें मर जाने दो

©के मीनू तोष (१८ दिसम्बर २०१९) #पंक्तियाँ
क्यूँ बदलनी पंक्तियाँ उन्हें ऐसी ही रह जाने दो
जो रच गया है तुमसे उसे इतिहास बन जाने दो
तुम सराहो नसीब अपना के जो कह देते मुकम्मल वो हो जाता
कहते ही जो बदले परिस्थिति तो उसे बदल जाने दो
भाग्यशाली वो क़लम होती जो वतन के हित में चलती है
जन्मते ही मरती पंक्तियाँ तो उन्हें मर जाने दो

©के मीनू तोष (१८ दिसम्बर २०१९) #पंक्तियाँ