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चाँदनी रात बादलों की छाया, घने जंगल में एक भेड़िय


चाँदनी रात बादलों की छाया,
घने जंगल में एक भेड़िया थी पाया।
अजनबी ये जगह, अजनबी ये हाथ,
जाना न था इसे किस तरफ़ ले जाया।

एक बार में भूल गई अपना रूप,
बन गई ज़मीर की रहस्यमय सूँप।
शापित हो गई खुद को भेड़िया के रूप में,
जीने का नया सफ़र, नया अद्भुत सौंप।

जंगल की चीखें, धारा की बहारें,
खो गई रचना रंगीन बहुत भारें।
पर भेड़िया ने आशा नहीं हारी,
पूरा करना था कर्तव्य, उठाना अपना पहाड़।

उसने रची जंगल में एक कहानी,
जिसने सबको दिया उदाहरणी।
कि जीवन के रूप बदल जाते हैं,
पर अपने आप से होना नहीं हारे।

शापित भेड़िया की कहानी सीखाती है,
आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती है।
कि जीवन के रास्ते में जब भी हों बाधाएं,
विश्वास और सामर्थ्य की लहरें बुलंद करती हैं।

चाँदनी रात बादलों की छाया,
अब नहीं है यह जंगल भेड़िया का वासा।

©aditi jain
  #GarajteBaadal #शापित भेड़िया

 Rajat Bhardwaj जादूगर Chouhan Saab AK Haryanvi