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...वो दौर फिर आया है आज... दुनियां की तरह ये ज़िन्द

...वो दौर फिर आया है आज...
दुनियां की तरह ये ज़िन्दगी भी गोल हैं,
जहां से चले थे हम वहीं पहुंच गए।
कुछ ख्वाहिशें दबी थी दिल के अंदर,
अब भी सारी की सारी दबी रह गई,
यूँ तो चाहने वाले हमें भी मिले थें
मगर,उनकी चाहत सिर्फ चाहत भर थी।

उस भारी मन और बौने पन  कि जगह 
जब किसी की चाहत ने मुझे अपनाया था,
तब भी दिल में एक सिहरन सी हुई थी!
वो सिरहन नहीं बल्कि एक ईशारा था,
जो उस दौर ने मुझे दिल में बताया था,
कि छोड़ जाएगा ये दिल में बसनें वाला तुझे!
लेकिन  वो दौर भी अपनी जगह  सही  था
  और शायद हम भी खुद की जगह सही।

कुछ वक्त बीता और हम हार गए,
खोने के लिए तो वैसे कुछ था नहीं,
फिर भी एक उम्मीद सी बंध गई थी  शायद !
वहीं उम्मीद जो अब  किसी से रही नहीं
सुनापन और भारी  मन था जैसे पहले,
वहीं दौर फिर आया हैं आज!
वहीं दौर  फिर आया हैं आज!! 
 ~Avinash raj~ #वहीं दौर फिर आया हैं आज...💌
...वो दौर फिर आया है आज...
दुनियां की तरह ये ज़िन्दगी भी गोल हैं,
जहां से चले थे हम वहीं पहुंच गए।
कुछ ख्वाहिशें दबी थी दिल के अंदर,
अब भी सारी की सारी दबी रह गई,
यूँ तो चाहने वाले हमें भी मिले थें
मगर,उनकी चाहत सिर्फ चाहत भर थी।

उस भारी मन और बौने पन  कि जगह 
जब किसी की चाहत ने मुझे अपनाया था,
तब भी दिल में एक सिहरन सी हुई थी!
वो सिरहन नहीं बल्कि एक ईशारा था,
जो उस दौर ने मुझे दिल में बताया था,
कि छोड़ जाएगा ये दिल में बसनें वाला तुझे!
लेकिन  वो दौर भी अपनी जगह  सही  था
  और शायद हम भी खुद की जगह सही।

कुछ वक्त बीता और हम हार गए,
खोने के लिए तो वैसे कुछ था नहीं,
फिर भी एक उम्मीद सी बंध गई थी  शायद !
वहीं उम्मीद जो अब  किसी से रही नहीं
सुनापन और भारी  मन था जैसे पहले,
वहीं दौर फिर आया हैं आज!
वहीं दौर  फिर आया हैं आज!! 
 ~Avinash raj~ #वहीं दौर फिर आया हैं आज...💌