ख़ुद ये जानते हो तुम गहराई में मैं हूं घूम शरारत से हसरतें बढ़ी फिर भी मै नाकाम रहा पाने का सपना था भले ही अधूरा टूटा पर खुद से अफसोस नहीं है मेरा प्यार तो पूरा होना था ना बात तो हमने किया खूब रहा मशरूफ हर दिन ये सपना एक आस दिखाता और हर रात तन्हाई का सबूत दे जाती और मेरी सवालों को बढ़ा जाती....... Something unexplored and left