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कब तक रहेंगी ज़ख़्म की ये दिल में सिसकियां, कब त

कब  तक रहेंगी ज़ख़्म की ये दिल में सिसकियां,
कब  तक   निगाह- ए- नीर  का  सैलाब  बहेगा.

जाती  नहीं  हैं   मुझ   से  सम्हाली   ये  बेड़ियाँ,
कब  तक  हवा  के  रुख़ में  ये  अज़ाब  चुभेगा.

जो  किये  नहीं  गुनाह  उनकी  क्यों सज़ा मिली, 
कब  तक  तुम्हारी  नज़्र  का  ये  ख़्वाब  झुकेगा.

माँगी  थी  हमने   मौत   ये  ज़िल्लत  नहीं  यहाँ,
कब   तक   हमारी   सांस   को  पैग़ाम  मिलेगा.
  #yqhindi #life #hopelessness #innerstrength #unconsciousness #urduhindi_poetry
कब  तक रहेंगी ज़ख़्म की ये दिल में सिसकियां,
कब  तक   निगाह- ए- नीर  का  सैलाब  बहेगा.

जाती  नहीं  हैं   मुझ   से  सम्हाली   ये  बेड़ियाँ,
कब  तक  हवा  के  रुख़ में  ये  अज़ाब  चुभेगा.

जो  किये  नहीं  गुनाह  उनकी  क्यों सज़ा मिली, 
कब  तक  तुम्हारी  नज़्र  का  ये  ख़्वाब  झुकेगा.

माँगी  थी  हमने   मौत   ये  ज़िल्लत  नहीं  यहाँ,
कब   तक   हमारी   सांस   को  पैग़ाम  मिलेगा.
  #yqhindi #life #hopelessness #innerstrength #unconsciousness #urduhindi_poetry