आंखों की गहराई में छुपा कर अपने सारे राज दफन कर लेते हैं। समझ न सके कोई इसलिए इन्हें काजल का पहरा लगा देते हैं। मृगनयनी सी सुंदर आंखें जाने कितनों को कातिल बना देती हैं। नशीली सी है आंखें मेरी न जाने कितनों को शराबी बना देती हैं। 🎀 Challenge-274 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।