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*ये चन्द पंक्तियाँ जिसने भी* *लिखी है, खूब लिखी ह

*ये चन्द पंक्तियाँ जिसने भी*  *लिखी है, खूब लिखी है* 

*ग़लतियों से जुदा तू भी नही,* 
  *मैं भी नही,*
    *दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही,* 
     *मैं भी नही ..*
     *" तू मुझे ओर मैं तुझे*    *इल्ज़ाम देते हैं मगर,*
     *अपने अंदर झाँकता तू   भी नही,* 
      *मैं भी नही " ..*
    *" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ,*
*वरना फितरत का बुरा तू*   *भी नही, मैं भी नही.. #intelligence
*ये चन्द पंक्तियाँ जिसने भी*  *लिखी है, खूब लिखी है* 

*ग़लतियों से जुदा तू भी नही,* 
  *मैं भी नही,*
    *दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही,* 
     *मैं भी नही ..*
     *" तू मुझे ओर मैं तुझे*    *इल्ज़ाम देते हैं मगर,*
     *अपने अंदर झाँकता तू   भी नही,* 
      *मैं भी नही " ..*
    *" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ,*
*वरना फितरत का बुरा तू*   *भी नही, मैं भी नही.. #intelligence
ramkrishan3804

Ram Krishan

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