Nojoto: Largest Storytelling Platform

हलक़ तक आकर साँसें उधार दे गया, अजीब ख्वाब था आँखे

हलक़ तक आकर साँसें उधार दे गया,
अजीब ख्वाब था आँखें उतार ले गया।

जिसे अपने कारीगरी से संजोया था मैंने,
उस मूरत की पहचान भी कुम्हार ले गया।

अपने पसीने से सिंचा था जिसने धरा,
दुशासन खींच उसका दसतार ले गया।

मेरी ग़ज़लों ने ही कज़ा से दूर रखा मुझे,
वो मुझमें जीतना बचा था असरार ले गया।

अक्सर युं भी मुश्किलों से पाला छुटा मेरा,
एक तूफ़ान आया बहा जलधार ले गया।

-----Dwivediji😊😁❤😉😉✌ #Gazal😊😊✌❤ हलक़ तक आकर साँसें उधार दे गया,
अजीब ख्वाब था आँखें उतार ले गया।

जिसे अपने कारीगरी से संजोया था मैंने,
उस मूरत की पहचान भी कुम्हार ले गया।

अपने पसीने से सिंचा था जिसने धरा,
दुशासन खींच उसका दसतार ले गया।
हलक़ तक आकर साँसें उधार दे गया,
अजीब ख्वाब था आँखें उतार ले गया।

जिसे अपने कारीगरी से संजोया था मैंने,
उस मूरत की पहचान भी कुम्हार ले गया।

अपने पसीने से सिंचा था जिसने धरा,
दुशासन खींच उसका दसतार ले गया।

मेरी ग़ज़लों ने ही कज़ा से दूर रखा मुझे,
वो मुझमें जीतना बचा था असरार ले गया।

अक्सर युं भी मुश्किलों से पाला छुटा मेरा,
एक तूफ़ान आया बहा जलधार ले गया।

-----Dwivediji😊😁❤😉😉✌ #Gazal😊😊✌❤ हलक़ तक आकर साँसें उधार दे गया,
अजीब ख्वाब था आँखें उतार ले गया।

जिसे अपने कारीगरी से संजोया था मैंने,
उस मूरत की पहचान भी कुम्हार ले गया।

अपने पसीने से सिंचा था जिसने धरा,
दुशासन खींच उसका दसतार ले गया।