अंधेरी रात के लम्हे तमाम होने तक, तुझे ही सोचता हूं सुबह से शाम होने तक,, मैं ऐसा जिस्म हूं जिसकी रूह भी तू है, अधूरी ज़ात हूं मैं तेरे नाम होने तक,, तेरी आवाज सुन न लू तो दिल नहीं लगता, तड़पता रहता हूं तुझसे बात होने तक,, तेरी नज़र की कीमत पे बिक रहा हूँ, मुझे खरीद ले तू महंगे दाम होने तक,, इश्क़ की आग जो सीने में लगा बैठे हैं, सताती रहती है ये नींदे हराम होने तक..! ©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ #तड़पता_रहता_हूं_तुझसे_बात_होने_तक... poetry in hindi poetry on love love poetry for her