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ख्वाइश और ज़रूरत के फ़ासलों को ज़रा समझा करो यारों

ख्वाइश और ज़रूरत के फ़ासलों को ज़रा समझा करो यारों, 
गम की सागर में हमें यूँ बार बार डुबाया ना करो। 
जो बातें तुम्हें बेफिज़ूल लगती हैं, 
उसमें कितनों के सपने संजोये रखे हैं। 
मत तड़पाओ उन गरीबों की आत्माओं इस हद तक कि वो जीना छोड़ दें, 
साथ दो उनकी ज़रूरत हो उन्हें और जीना सिखा दो उन्हें फिर से। 

✍प्रज्ञा पंडा
Instagram-@kahawat_zindagi
©kahawat_zindagi #ज़रूरतऔरख्वाइश
#गरीब
#दुःख
#दर्द
ख्वाइश और ज़रूरत के फ़ासलों को ज़रा समझा करो यारों, 
गम की सागर में हमें यूँ बार बार डुबाया ना करो। 
जो बातें तुम्हें बेफिज़ूल लगती हैं, 
उसमें कितनों के सपने संजोये रखे हैं। 
मत तड़पाओ उन गरीबों की आत्माओं इस हद तक कि वो जीना छोड़ दें, 
साथ दो उनकी ज़रूरत हो उन्हें और जीना सिखा दो उन्हें फिर से। 

✍प्रज्ञा पंडा
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