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क्यु नहीं आता तू मेरी संगिनी बनकर भक्त तेरा प्रेम

क्यु नहीं आता तू मेरी संगिनी बनकर
भक्त तेरा प्रेम के बिन रोज़ रोता है
पुष्प दे एसा कोई पौधा नहीं उगता
पत्थरों मे ये प्रणय के बीज बोता है
प्रभु तूने ये जगत पत्थर बनाया क्यु
क्या पत्थरों मे प्रेम का सामर्थ्य होता है 

                                  ~ प्रणव पाराशर क्या पत्थरों मे प्रेम का सामर्थ्य होता है....
क्यु नहीं आता तू मेरी संगिनी बनकर
भक्त तेरा प्रेम के बिन रोज़ रोता है
पुष्प दे एसा कोई पौधा नहीं उगता
पत्थरों मे ये प्रणय के बीज बोता है
प्रभु तूने ये जगत पत्थर बनाया क्यु
क्या पत्थरों मे प्रेम का सामर्थ्य होता है 

                                  ~ प्रणव पाराशर क्या पत्थरों मे प्रेम का सामर्थ्य होता है....