हम शायरी से कहानी कहते हैं लोग हमें कलाकार कहते हैं, अरे हमारे चाहने वालो तुमने देखे ही कहाँ वो आसूँ जो इस हसीं नकाब के पीछे बहते है। हमारी शायरी पर कभी हस्ते हो तो कभी आसूँ बहाते हो, हमारे एक एक लफ्ज़ अपने हालातों से मिलाकर, तुम अपनी गुजरी बीती दुनिया को सुनाते हो, कभी कवी व्याकुल तो कभी टूटा दिल्जला आशिक़ कहते हो, जितना हम कुछ लफ्ज़ो में जता देते हैं, तुम कह कर भी नही कहते हो। हम शायरी से कहानी कहते हैं लोग हमे कलाकार कहते हैं, सुनते है हमे मगर समझते नहीं, बस लफ्ज़ो की हेरा फेरी और व्यापार करते हैं। -अदिती पांडेय Being a shayar